
आज के समय शिक्षा समाज सबसे महतपूर्ण जरूरत बन गई हैं । हर माता पिता अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा देना चाहता हैं। इसलीय हर माँ बाप चाहता हैं की उसके बच्चे किसी अच्छे स्कूल मे जाए और बेहतरीन शिक्षा प्राप्त करे आज की समय की बात करे तो सरकारी स्कूल की तुलना मे प्राइवेट स्कूल की मांग तेजी से बड़ रहे हैं । क्युकी वहा आधुनिक सुविधा और उच्च गुणबत्ता वाली शिक्षा मिलती हैं ।
लेकिन सवाल यह हैं की क्या प्राइवेट स्कूल हर छात्र के लिय फायदामंद हैं । या यह सिर्फ महंगा सौदा बन कर रह गया हैं।
इंडिया के अंदर अगर आप को स्कूल खोलना हो तो आप को आर टी ई ऐक्ट 2009 के तहत एनजीओ बना सकते हो या ट्रस्ट या फॉर कंपनी ऐक्ट 2013 सेक्शन 8 के तहत नॉन प्रॉफ़िट ntt डाले सारी बात को मिला कर हम कह सकते हैं की सिर्फ एनजीओ की तरह ही स्कूल चलाया जा सकता हैं । ऐसा नहीं हो सकता की मेरे पास या आप के पास बहूत पैसा हैं और आप ने पैसे कमाने के लिय प्राइवेट कंपनी खोली टीचर रखा और स्कूल चालू कर दिया
ऑन पेपर तो ये रूल निएम बहूत अच्छा हैं लेकिन आज के समय मे टैक्स चुराना ब्लैक मनी को व्हाइट करना दूसरी कंपनी के टैक्स को घूमना स्कूल मे अलग अलग बिना काम के प्रोडक्ट बच्चों को चिपका कर माँ बाप की कमाई अपने जेब मे करना इन सभी चीजों के लिया बेस्ट ऑप्शन हो गया हैं प्राइवेट स्कूल मनमाने रेट पर किताब बेच कर माँ बाप की जेब काटना आम बात हैं ।
जीतने भी नेता बड़े कारोबारी माफिया इन सब की पहली पसंद हैं यह प्राइवेट स्कूल आज कल आप नोटिस करेंगे की हर बड़ा नेता किसी ना किसी एजुकेशन ट्रस्ट का ट्रस्टटी बन रहे हैं । अगर कोई ईमानदार आदमी स्कूल खोलना चाहे तो उसके हर मोड पर दिक्कत का सामना करना पड़ेगा अगर एक जगह काम हो जाए तो दूसरी जगह बात फस जाएगी हा अगर आप कोई बड़ा नेता या बड़ा कारोबारी हैं आप के पास बहूत पैसा हैं तो आप का काम घर बैठे ही हो जाएगा लेकिन जब कोई इतना पैसा लगाकर स्कूल खोलता हैं तो वो समाज सेवा करने नहोई आता हैं
हमारे देश का कानून स्कूल को लेकर बहूत सख्त हैं लेकिन यह कानून ऑन पेपर ही हैं अगर किसी को स्कूल खोलना हैं तो कुछ लोगों के लेकर रजिस्टर के ऑफिस जाना होता हैं जहा आप ट्रस्ट या सोसाइटी रजिस्टर करना होता हैं और अफलियासन वगैरा लेकर स्कूल खोल सकते हो ट्रस्ट या सोसाइटी के थ्रु ही स्कूल चलते हैं । यह जो सोसाइटी बनती हैं इनमे 2 चीजों को लेकर क्लियर आदेश हैं की जो पैसे फीस के रूप मे आता हैं उसको आप को स्कूल मे लोगों की भलाई के लिया लगाना हैं । दूसरा आप सोसाइटी मे अपने परिवार मेम्बर को नहीं रख सकते इसके लिया एक एफ़िडेविट भी साइन करवाया जाता हैं की आप लिख कर भी दो लेकिन स्कूल पैसे कम कर अपने जेब मे भी रखते हैं और सोसाइटी मे अपने फॅमिली मेम्बर भी रखते हैं।
स्कूल जब चाहे माँ बाप के जेब से पैसे निकाल लेते हैं बस स्कूल की ड्रेस का रंग ही तो चेंज करना हैं । उसके बाद हजारों बच्चे इनके बताए हुए कंपनी या दुकान से जो इनको बड़ा कट देते हैं उनसे ड्रेस खरीदते हैं अमरीका जैसे देश जहा बुक्स स्कूल 10 साल मे भी नहि बदलते बच्चा पास होकर 9 क्लास से 10 क्लास मे जाता हैं तो उनकी बुक्स उनसे लेकर उन बच्चों को दे दिया जाता है जो 8 बी क्लास से 9 बी मे आय हैं । लेकिन हमारे इंडिया मे प्राइवेट स्कूल ने ऐसी लूट मचा रखी हैं की अगर किसी माँ बाप के पास न्यू बुक्स के लिया पैसे नहीं हो और वो किसी से पुराना बुक्स लेकर काम चलान चाहे तो तो वो ऐसा नहीं कर सकता क्यू की हमारे देश मे हर साल किताब का एक आधा चैप्टर स्कूल वाले इधर उधर कर देते हैं मजबूरी मे न्यू बुक लेनी ही होती हैं प्राइवेट स्कूल की लूट इस कदर हैं की वो बुक उन्ही दुकान पर मिलेगी जो दुकान स्कूल वालों ने बताया होगा जिसकी लिस्ट स्कूल वाले देते हैं क्युकी उनसे उनको बड़ा कट मिलता हैं । प्राइवेट स्कूल एक ऐसी दुकान हैं जहा कस्टमर कब आएगा यह दुकानदार खुद तए करते हैं ।
ncrt की बेस्ट बुक मार्केट मे मिलती हैं जिसको भारत सरकार छापती हैं बहूत कम पैसे मे मार्केट मे मिल जाती हैं जिन बुक के लेखक जाने माने होते हैं जिन बुक को सरकार ने स्कूल के लिय लागू कर रखा उसके बाद भी प्राइवेट स्कूल प्राइवेट पब्लिशर की बुक अपने स्कूल मे लगबाते हैं क्युकी ncrt से उनको कट नहीं मिल पाएगा जो प्राइवेट पब्लिशर उन स्कूल को देते हैं
प्राइवेट स्कूल की लूट इस कदर है की जो बुक ncrt की 90 रुपया मे मिल रहा हैं वही बुक प्राइवेट पब्लिशर की 460 रुपया मे माँ बाप को खरीदना पड़ रहा हैं । इन बुक मे फरक इतना हैं की लेखक अलग हैं और प्राइवेट पब्लिशर की बुक की कागज थोड़ा चिकना और साफ हैं यह लूट इतनी ज्यादा बढ़ चुका था की सरकार को बीच मे घुसना पद और सरकार ने आदेश दिया की कोई भी स्कूल 3 साल से पहले ड्रेस मे कोई बदलाब नहीं कर सकती और अपने स्कूल की वेबसाइट पर कम से कम 5 दुकान का एड्रैस लिखो जहा से पेरेंट मोल भाब करके बुक खरीद ले लेकिन इस आदेश को भी स्कूल ने नहीं माना ।
हर चीज आप को स्कूल से लेनी है unifrom आप को स्कूल से लेनी हैं बेल्ट स्कूल से लेनी हैं बस एक चीज आप बाहर से ले सकते हैं वो हैं एजुकेशन उसके लिया आप बाहर से ट्यूशन लगा सकते हैं स्कूल वालों का बस चले तो बच्चों को खिलाने के लिय आटा चावल वो भी स्कूल से मेडिटेरी कर दे ।
टीचर का शोषण
इन स्कूल मे पढ़ाने वाले टीचर का भी शोषण होता हैं जो स्कूल की बैक बोन होता हैं जो इनके घर भर रहे हैं । जब स्कूल एफिलिएशन लेने सीबीएसई के पास जाता हैं तो उनको प्रदेश सरकार से एक एनओसी लेनी होती हैं जब एनओसी अप्रूव होकर आता हैं तो उसमे लिखा होता हैं की आप टीचर को उतनी तनख्वा दोगे जितना प्रदेश सरकार के टीचर को मिलता हैं । उससे एक भी रुपया कम नहीं दोगे .जब सीबीएसई एफिलिएशनदेता हैं तो उसमे भी रिटर्न मे लिखा होता हैं की आप टीचर को प्रदेश सरकार के टीचर जितना पैसे दोगे उसके बाद भी यह स्कूल टीचर को उतना पैसे नहीं देते हैं ।
यहा सरकार की वो लिस्ट हैं जिसमे बताया गया हैं की कम से कम कितनी वेतन किसको मिलन चाहिया अनस्किलड मजदूर का वेतन 10,701 हैं, सेमी स्किलड मजदूर को 11,772 वेतन मिलना चाहिय,और जो स्किलड मजदूर का वेतन हैं 13,183 लेकिन आप को जानकार हैरानी होगी की प्राइवेट स्कूल टीचर को अनस्किलड मजदूर से भी कम वेतन दिया जाता हैं जो कही कही तो 6,000 से भी कम हैं ।

अगर आप के कोई जानने वाला होगा जो इन प्राइवेट स्कूल मे टीचर होगा तो उनसे पूछना की आप को प्रदेश सरकार जितनी सैलरी मिलती हैं की नहीं कई प्राइवेट स्कूल टीचर को रखते ही इसी शर्त पर हैं की आप को नोकरी तो हम दे रहे हैं । लेकिन आप को पूरे साल की 12 चेक साइन करना होगा टीचर की सैलरी ज्यादा दिखते हैं बाद मे उसी चेक बुक इस्तेमाल कर के पैसा निकाल लेते हैं

हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट आई जिसमे बताया गया की उनकी सैलरी 28500 रुपए थी लेकिन हकीकत मे उनको 6000 हजार महीने के मिल रहे थे स्कूल वालों ने बैंक अकाउंट खुलवाकर साल भर की चेक बुक साइन करवा कर रखवा लिया था बाद मे ट्रस्टटी उसी चेक से पैसे निकाल कर अपने जेब मे डाल रहे थे । सोच कर देखिय की 6000 हजार मे होता क्या हैं टीचर जिनको पूरे दिन मे एक घंटा भी नहीं मिलता हैं जिससे वो लाइबेरी मे जाकर खुद को अपडेट कर सके ।
टीचिंग के साथ साथ स्कूल के दुनिया भर के काम जिसके लिया अलग स्टाफ हाएर होना चाहिय वो भी टीचर से करवाते हैं । सिर्फ चेक बुक ही नहीं एक स्कूल के डायरेक्टर को बैंक वालों ने पकड़ा था जो दिन मे टीचर के अकाउंट मे सैलरी डाल कर उन सबके एटीएम इकट्ठा करके रात के 11 बजे एटीएम से पैसे निकाल रहे थे जो सीसी टीवी कैमरा मे रिकार्ड हो गया बाद मे बैंक वालों उनको अरेस्ट करवाया टीचर अपनी शिकायत कही कर भी नहीं सकती हैं क्युकी रूल के हिसाब से टीचर लेबर कटेगरी मे ही नहीं आती हैं। कई स्कूल टीचर की सैलरी उनके खातों मे ट्रांसफर करने के बाद उनसे कैश वापस लेते हैं बकायेदा स्कूल प्रॉपर रजिस्टर रखते हैं जिसमे लिखा होता हैं किस टीचर से कितना पैसा वापस लेना हैं ।

टीचर भी मजबूर हैं अगर एटीएम नहीं देंगे तो उनको नोकरी से निकाल दिया जाएगा रिलीबिग मे दिक्कत होगी उनको दूसरी जगह नोकरी मिलने मे इसलिया टीचर चुप रहते हैं कुछ नही बोलते हैं कुछ प्राइवेट ट्यूशन का मॉडल अपना लेते हैं । पेरेंट की भी मजबूरी हैं स्कूल मे पढ़ाई होती नहीं हैं इसलिय बच्चों को ट्यूशन लगवाना पड़ता हैं । स्कूल वालों का सीधा सा फंडा हैं अगर बच्चा अच्छा कर रहा हैं तो स्कूल की वजह से कर रहा हैं अगर रिजल्ट खराब रिजल्ट आया तो पेरेंट ने ध्यान नहीं दिया बच्चे का दिमाग बहूत तेज हैं पर पढ़ता नहीं हैं । यह लाइन चिपकाकर माँ बाप को घर भेज देते हैं । अरे जब अच्छा स्कूल की वजह से कर रहा हैं तो खराब भी तो स्कूल की वजह से ही तो कर रहा होगा सिम्पल स कॉमन सेंस हैं।
जैसे ही रिजल्ट आता हैं स्कूल के टॉप कुछ बच्चों की बड़े बड़े बैनर स्कूल मे लगाकर स्कूल की महिमा मंडन चालू हो जाता हैं स्कूल के टोटल नंबर ऑफ स्टूडेंट की उनके रिजल्ट क्यू पब्लिश नहीं होते । क्युकी उसमे तो नवोदय,केवी आगे हैं

नवोदय और केवी पिछले कई सालों से 98.93 पाससिंग पर्सेंट के साथ सबसे आगे हैं कोई पकड़ नहीं पाता इनको पिछले कई सालों का रिकार्ड उठा कर देख लीजिय । लेकिन यह चीज कही नहीं दिखाई जाती हैं नवोदय और केवी बेस्ट नमूना हैं सरकारी स्कूल का सरकार अगर चाहे तो ऐसे माडल रएप्लिकेट करके सस्ते दामों मे बेस्ट एजुकेशन लोगों को दे सकती हैं । लेकिन सरकार खुद चाहती हैं की सरकार के ऊपर वर्डन कम हो और यह प्राइवेट सेक्टर के हाथ मे चला जाए यह लोग पेरेंट को अलादीन का चिराग समझते हैं जिसे कभी भी घिसकर पैसे निकलवा सकते हैं । स्कूल की फीस बढ़ाने के पीछे का लॉजिक देखे तो स्कूल घाटे मे जा रहा हैं स्कूल चलाने मे दिक्कत या रही हैं तो स्कूल फीस बढ़ा सकता हैं । ताकि स्कूल चलता रहे बच्चे के पढ़ाई पर फरक ना पड़े पर कोई भी स्कूल खुद को फायेदा मे दिखाना ही नहीं चाहता हैं और हर साल फीस बढ़ा देते हैं ।जो हाल किसी टाइम पर प्राइवेट कंपनी ने बीएसएनएल का किया था वही हाल प्राइवेट स्कूल सरकारी स्कूल का कर रही हैं लोगों का मानना हैं की सरकारी स्कूल तो सरकार ने समाज सेवा के लिया खोल; रखा हैं इसमे तो गरीबों के बच्चे पढ़ते हैं । और जो प्राइवेट स्कूल हैं जो हाइ फ़ाई सुविधा दे रही हैं वो प्रॉफ़िट तो बनाएंगे ही ना तो ऐसा बिल्कुल नहीं हैं । स्कूल चाहे सरकारी हो या प्राइवेट हो हमारे देश की कानून के हिसाब से स्कूल चलाना एक समाज सेवा हैं कोई स्कूल से कमा कर एक भी रुपया अपने घर मे नहीं रख सकता हैं कोई भी स्कूल चाहे कितना भी अच्छा सुविधा क्यू ना दे स्कूल से कमाया हुआ पैसे स्कूल मे इस्तेमाल कर सकता हैं

2016-17 मे इस बात को चेक करने के लिया सरकार ने ऑडिट करवाया तो पता चला की स्कूल के अकाउंट मे एक्सेस मे पैसा पड़ा था कुछ स्कूल ने तो एफ डी तक करवा रखा था । स्कूल मे घाटा दिखा कर हर साल फीस बढ़ा रहे थे । यह देख कर सरकार ने आदेश दिया की जो स्कूल फायेदा मे चल रहे हैं वो फीस नहीं बढ़ाएंगे पर यह स्कूल छोटे मोटे लोग थोड़े चला रहे हैं इन्होंने सरकार की एक भी बात नहीं मानी और मनमाने तरीके से फीस बढ़ाया


इसके बाद एक कमेटी और बनी जिसे रिटायर्ड जज अनिल देव सिंह हेड कर रहे थे उन्होंने 95 स्कूल की जाच किया और 54 स्कूल को ऑर्डर दिया की पेरेंट को फीस वापस करो कानून के हिसाब से तो फीस वापस कर देनी चाहिया था पर डायरेक्टर ऑफ एजुकेशन ने हाइ कोर्ट को रिपोर्ट सबमिट किया तो पता चल की सिर्फ 5 स्कूल ने ही पैसे पेरेंट को वापस दिया हैं
पेट्रोल डीजल का रेट 5 रुपया बढ़ जाए यह पूरे स्कूल की फीस बढ़ा देते हैं । हर साल एडमिसन के नाम पर बच्चों की फीस बढ़ा दिया जाता हैं लेकिन टीचर उसी सैलरी पर काम कर रहे हैं इंडिया मे 18 साल से कम उम्र के बच्चों को गाड़ी चलाने की अनुमति नहीं होती हैं लेकिन उनसे भी स्कूल पार्किंग फीस ले लेती हैं ।
कानून के हिसाब से स्कूल परिसर मे कोई भी व्यापारिक गतिविधि नही चला सकते हैं। लेकिन आप देखेंगे की स्कूल अपने परिसर मे कॉपी किताब ड्रेस यहा तक की पेन पेंसिल जैसे आइटम तक खुले आम बेच रहे हैं । आप स्कूल की सिलेब्स उठा कर देखिय बिना मतलब के किताब उनकी लिस्ट मे होंगे जिसकी कोई जरूरत हैं ही नही पर स्कूल ने लगा रखा हैं क्युकी उसमे स्कूल का कट होता हैं।
स्कूल की फीस बढ़ाना हो या न्यू टीचर की भर्ती हो स्कूल की और किसी चीज का फैसला लेना हो यह काम करती हैं स्कूल मेनेजमेंट कमेटी रूल के हिसाब से 75%मेम्बर स्कूल के बच्चे के पेरेंट होना चाहिय,2 स्कूल की टीचर होंगे,2 लोग दूसरे स्कूल से होंगे,और 2 लोग सीबीएसई अपॉइंट करेंगे पर आप अपने बच्चों के स्कूल मे चेक कीजिय 95 परसेन्ट यह रूल फालो नहीं करते हैं । लास्ट मे इतना कहना चाहूँगा की देश की जनता को जितना प्राइवेट स्कूल और प्राइवेट हॉस्पिटल ने लूटा हैं उतना किसी ने नहीं लूटा हैं ।
जय हिन्द
माधव कुमार